डॉ. रामबली मिश्र
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डमरू घनाक्षरी
मापनी - मात्रा मुक्त 8 8 8 8
चार चरण
चम चम चम चम, चमकत चल चल।
धम धम धम धम , कहत बढ़त पल।
चह चह चहकत,चलत सतत कल।
सहज सतह पर,भगत जलद जल।
सहकत बहकत, चलत चपल मन।
कहत बढ़त वह, लगत निकट जन।
थिर थिर थिरकत,चलत सकल तन।
सुनयनि सुमधुर, अधर दिखत बन।
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